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Ateek aur asherf murder news | अतीक और उसके भाई का चैप्टर हुआ समाप्त|ateek ahemed murder full story

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Ateek aur asherf murder |ateek ahemed murder full story

News sorce Ravish sir youtube
मैं रवीश कुमार और अशरफ अहमद की पुलिस की सुरक्षा में हत्या कर दी गई। इस तरह की घटना के साथ ही माहौल में शामिल रखता है। ऐसे में पराठे के साथ को दिया जाता है। आप देखेंगे कि उसी तरह एनकाउंटर के साथ धर्म भी फ्री में दिया जाने लगा है ताकि माहौल बनाया जा सके और फिर आप कानून के राज को लेकर सवाल न कर सके और किस लिए हैं। हमारे वकील कि मीडिया दिनभर इस बात पर शर्मिंदा किया जा रहा था। के पूर्व राज्यपाल ने पुलवामा को लेकर प्रधानमंत्री पर चुप कराने के आरोप लगाए हैं। उसे नहीं दिखा रहा है। उसी गोदी मीडिया का सीना रात होते-होते फुल गया। जनता के बीच आने का उसे मौका मिल गया। एक वीडियो के बहाने वह आपके सामने आ गया।

इस पूरे मामले से धर्म को निकाल दीजिए तो बेशर्मी का वह पर्दा अपने आप जुड़ जाता है जो लोगों की आंखों पर धर्म के नाम पर चढ़ाया गया है। इस बात को अनगिनत बार दोहराने से उन्हें फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन दोहराना तो पड़ेगा ही पुलिस के सामने गोली चलाकर हत्यारे जय श्री राम बोलते हैं राजनीति के रास्ते से निकल। कहां-कहां पहुंचाया जा रहा है। इसे लेकर थोड़ी चिंता तो करनी ही चाहिए। मगर माहौल ऐसा बना दिया गया है कि आप इस हालत को भी गलत नहीं कह सकते। ट्विटर पर कई लोगों ने लिखा जाएगा और गोदी मीडिया के चैनलों को अदालत घोषित कर दिया जाएगा। हम वीडियो नहीं दिखाएंगे जिसके प्रेम मे अतीक अहमद और अरशद अहमद मीडिया से बात कर रहे हैं और पिस्टल आती है और इस पर बहस आप जरूर अगर आप होश में हैं तो हम हत्या से जुड़ी सभी तस्वीरों को धुंधला कर रहे हैं ताकि इसका मनोवैज्ञानिक असर किसी पर दूसरे तरीके से ना पड़े। हिंदी के अखबारों में निर्यात का आधा अधूरा आगरा छपता है। बहुत सारे तथ्यों को छुपा लिया जाता है।

अमर उजाला की हेडलाइन है अतीक और अशरफ की पुलिस हिरासत में हत्या जागरण की हेडलाइन कुछ अलग है मीडिया कर्मी बनाए थे। आरोपी वारदात के बाद लगाया। जय श्री राम का नारा यह जागरण में लिखा है। अमर उजाला ने हेडलाइंस में मेडिकल परीक्षण के लिए जाते समय बाइक पर आए। 3। युवकों ने किया हमला 18 गोलियां चलाई। तीनों गिरफ्तार उमेश पाल की हत्या में इनके साथ ही विजय चौधरी को गोली चलाते देखा गया। इसके अलावा बेटा औषध ड्राइवर अरबाज साथी, गुलाम और गुड्डू मुस्लिम भी देखा जा सकता है। इनके अलावा पुलिस द्वारा मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं, लेकिन पुलिस हत्या कर दी हत्या कर जाते हैं। यूपी में कानून व्यवस्था का बुरा हाल अपराधियों का हौसला बना। इस तरह के हेड लाइन लिखने की हिम्मत नहीं बची। शायद ही कोई लिख पाएगा। इस सवाल को गायब करने के लिए ही आपको पता ना चले। अमर उजाला के साथ किया। बैनर हेडलाइंस देखें। फिल्मी अंदाज में हुआ माफिया अति का अंत रांची की नाकामी को लेकर कोई सवाल नहीं है या अपराधियों की लाश नहीं बल्कि किसी भी व्यवस्था के लास्ट में बदलने की तस्वीर है जिसमें हत्यारों को लाइसेंस दिया जा रहा है। खराब व्यवस्था हर किसी की हत्या हुई है इसलिए सही हो जाएगी। पुलिस की मौजूदगी और गिरफ्त में दो लोगों को कोई इतनी आसान।

उस पर भी लोग जश्न मनाएं और उसमें केवल धर्म है। धर्म को हटा दीजिए। कुछ भी नहीं सही के दम पर उस बालक को सही बताया जा रहा है। जो सही नहीं। मैंने इस मामले में गोदी मीडिया का कोई प्रसारण नहीं थी। पता नहीं आप कब देखना बंद करें। इतना आसान सा काम आप से नहीं होता है। गोदी मीडिया देखना बंद कर दीजिए। फिर भी जिन्होंने देखा क्या बता सकते हैं कि मुठभेड़ के बहाने पुलिस का इकबाल बुलंद बताने वाला इसके बाद पुलिस बता रहा था। यहां घर में महत्वपूर्ण है जिसके नाम पर हर तरह के धर्म को धर्म में धर्म को लगता है। गुलाम बना लिया है जब चाहता है, धर्म को हक ले जाता है। किताबों में रह गई है कि धर्म चाहता है। किसके नाम पर चुप कराने का एक सामाजिक राजनीतिक वातावरण तैयार कर दिया जाता है जहां आपको चुप रहना पड़ता है जहां एक राज्यपाल को भी चुप रह जाना पड़ता है। कानून व्यवस्था के कठोर चेहरे के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सामने लाया जाता है। उन्हीं के राज में पुलिस के होते हुए भी हत्यारा बंदूक लेकर आता है और गोली मार देता है कि हम इस बात में नहीं मिला सकते। क्यामत बंधुओं की हत्या के आरोपियों का एनकाउंटर कर दिया जाए और उनके घर बुलडोजर से गिरा दिया जाए। उनके साथ भी ऐसा नहीं होना चाहिए। सरकार न्याय की प्रक्रिया से मिलती है जो प्रक्रिया से नहीं मिलती है। अपराधियों का हौसला पुलिस की परवाह नहीं करते हैं। अपराधी बस जय श्री राम का नारा लगाने लगे हैं। आपको यह भी बुरा नहीं लगता। वह गाना भी भूल गए। क्या देखो यह दीवानो तुम यह काम ना करो। राम का नाम बदनाम ना कर यूपी पुलिस किसी भी तमगा बना लेगी कि कैमरे के सामने उसकी मौजूदगी में तीन लोग आए और गोली मार कर चले गए। हत्यारों ने जय श्री राम यूपी पुलिस के इकबाल बुलंद कर दिया। इस पर बहस तभी जीत सकते। जब तक धर्म का इस्तेमाल करें, जैसे ही धर्म निकाल।

बिना धर्म के आप इनको सही नहीं ठहरा सकते, इसलिए आप इस धर्म को सही नहीं ठहरा सकते। अगर बात होती तो पूर्व राज्यपाल के सवाल होते हैं। प्रधानमंत्री मोदी से जवाब मांगे सरकार।

इस खबर को वर्कर दिया कांग्रेस पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो सीधा प्रसारण नहीं दिखाया गया। जयराम रमेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस न्यूज़ चैनलों के जरिए लोकतंत्र की हत्या को लेकर बहस होनी चाहिए थी। मगर प्रयागराज में हत्यारा टीवी रिपोर्टर ही बनकर आ गया और पुलिस से जय श्रीराम के नारे लगाता हुआ लोकतंत्र के हत्यारे गोदी मीडिया का हीरो बन गया। सत्यपाल मलिक के बयानों से खबर बनी थी। उसकी एक दिन में दूसरी बार हत्या कर दी गई। पहली बार जब मीडिया ने नहीं दिखाया और दूसरी बार इस अपराध बोध से बचने के लिए टीवी रिपोर्टर बन कर आए। हत्यारों को दिखाने लग गया। क्या रोटी बनाना भयानक नहीं है कि हर बनकर आए सबसे बड़ा।

प्यारा पत्रकारों का रूप धरकर हत्यारे पुलिस के सामने हत्या करने लग जाएं। तब उन पत्रकारों को भी डरना चाहिए जो दिन-रात लोकतंत्र की हत्या कर दी। मीडिया लोकतंत्र का हत्यारा एनडीटीवी के कई कार्यक्रम में नहीं चाहता कि मेरी हर बात सही हो जाएगा। नहीं तो पूर्व राज्यपाल के गंभीर आरोपों को नक्शा।

अमर उजाला और दैनिक जागरण में खबर छपी है कि तीन सदस्यों का न्यायिक आयोग अति आवश्यक की हत्या के मामले में जांच करेगा। क्या वहां पर खड़ी रही बहुत अच्छा रहे हैं जिस तरह से अपराधियों ने पुलिस के सामने उत्तर प्रदेश में धारा 144 लगा दी गई है। लौट जारी है बांदा के लवलेश तिवारी, हमीरपुर के अरुण मौर्य और कासगंज के सनी। क्या अब मैं माफियाओं ने क्या यूपी पुलिस का इकबाल बढ़ा दिया है। पुलिस के बिल्कुल करीब जाकर कोई नहीं जानता कि अखिलेश यादव को कितना नुकसान होगा। मगर इस हत्या पर सवाल उठाकर उन्होंने वही किया जो हर किसी को करना चाहिए। अखिलेश ने ट्वीट किया कि यूपी में अपराध की पराकाष्ठा हो गई है। अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। पुलिस के सुरक्षा घेरे के बीच सरेआम किसी की भी हत्या की जा सकती है तो आम जनता की सुरक्षा के बीच भय का वातावरण बन रहा है। लगता है कुछ लोग जानबूझकर ऐसा वातावरण बना रहे। राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी ने कहा कि क्या लोकतंत्र में मायावती ने ट्वीट किया कि गुजरात जेल से अतीक अहमद और बरेली जेल? उनके भाई अशरफ की प्रयागराज में कल रात पुलिस हिरासत में ही खुलेआम गोली मारकर हत्या हुई उमेश पाल जघन्य हत्याकांड की तरह ही यूपी सरकार की कानून व्यवस्था की कार्यप्रणाली पर अनेक गंभीर प्रश्न चिन्ह खड़ा करती। प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया है कि हमारे देश का कानून संविधान में लिखा गया है या कानून सर्वोपरि अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। मगर देश के कानून के तहत होनी चाहिए। किसी भी सियासी मकसद से कानून के राज और न्यायिक प्रक्रिया से खिलवाड़ करना या उसका उल्लंघन करना हमारे लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। एनकाउंटर पुलिस की मौजूदगी में हत्या की घटना पर अगर समाज बनाने लगेगा। किसी और बहाने से तारीफ करेगा। अपने बच्चों को कोचिंग की जगह किसी गिरोह में भेजने लग जाएगा कि कम से कम इस काम से टीवी पर नाम तो होगा। कपिल सिब्बल ने कहा कि यूपी में 2 हत्याएं हुई हैं और दूसरी कानून व्यवस्था को बताते हैं कि बीजेपी के एक मंत्री के बयान किस तरह से अखबार में छपे स्वतंत्र देव सिंह के ट्वीट को अमर उजाला में लिखा है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह में होता है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा है कि अखबार!

बढ़ता है तो कुदरत सक्रिय होती है। यदि तालिबानी लेकिन कुदरती फैसला है। मंत्री सुरेश खन्ना कह रहे हैं। यह तालिबानी लेकिन कुदरती कौन उन्हें समझाएं कि तालिबानी बता कर आपुन नारों पर सवाल खड़े कर रहे हैं कि योगी के राज में कानून व्यवस्था बुलंद बुलंद है तो तालिबानी तरीके से लेने की जरूरत तिवारी अरुण मौर्य और सनी ने तालिबान है। क्या तालिबानी का कोई नया धार्मिक संस्करण मार्केट में लॉन्च हुआ है। यही सोच रहा हूं कि आज सुबह-सुबह हाउसिंग सोसायटी के व्हाट्सएप ग्रुप में है। क्या इसे सही बताया जा रहा होगा। क्या लोग हत्या और खून के सीधा प्रसारण पर नारे लगा रहे होंगे। सही बता रहे होंगे। राम की मर्यादा कि उनकी जो भी समझते अच्छी ही होगी, मानकर चलना चाहिए। उस हिसाब से जय श्री राम का नारा लगाना सही था और मंत्री का कहना। कुदरती फैसला है। आंटी ने आज सुबह से और व्हाट्सएप से लगा रहे होंगे। आप अपनी तो सही कर लीजिए। बाइट देने के लिए पुलिस ने पेश किया। पुलिस को मिला कर देखिए। तीन लोग मीडिया कर्मी! कर आए थे। इसी दौरान गोली मारी सिपाही पत्रकार को भी चोटें आई हैं। पूरे मामले की जांच की जा रही है। रमेश शर्मा पुलिस कमिश्नर का यह बयान है जो सवाल पूछे जो अभिनंदन ने पूछा, यहां भी मान ली गई। जैसे हम लेकर आता था। वैसे ही मारा भी गया। यह हेड लाइन है। जागरण हेड लाइन हत्या को सही नहीं ठहरा। पूरे पन्ने में इस तरह की हेडलाइन आपको दिख जाएगी और यह पहचानने में चुके और फिर उनकी अंगुली ना पहुंचने ताबड़तोड़ गोलियां दागी। और उस दौरान सामने खड़े पुलिसकर्मी तमाशबीन बने रहे। इसे लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। दरअसल यही तो सवाल है और यही पत्रकारिता है मगर इसकी भी किस्मत उसी अखबार में किसी कोने में इस सवाल को जगह मिल गई। सवाल बचे हुए हैं। अभी पूरी तरह से इनकी हत्या नहीं। आप लोग इस तरह से तो बातें करते करते हैं। उनकी बात एक सीमा पर पहुंच जाती है।

लेकिन पत्रकारों को व्यवस्था से सवाल पूछना चाहिए। कानून व्यवस्था के सवालों को सामने रख दो पत्रकारों को अपने लिए भी पूछना चाहिए। उनकी जगह से अधिक मामलों में जेल में बंद औरत की हत्या पुलिस के सामने अपराधिक गोली चलाने की हिम्मत करें और पत्रकार बनकर की हत्या के मामले में और विजय चौधरी का ध्यान रखें।

क्या पूछेगा कि राज्य की मशीनरी क्यों फेल हो गई। अमर उजाला की हिंदी में देख लीजिए। झांसी में अतिथि आ जाऊंगा। पूछा नहीं गया और जलाने वाले इस वीडियो को दूर कर सके कि माफिया और डॉन का बचाव किया जा रहा है जबकि ऐसा नहीं।

और हाउसिंग सोसाइटी से लेकर गोदी मीडिया में हत्या का इकबाल बुलंद किया जा रहा है। उसकी चिंता आपको करनी चाहिए। सत्यपाल मलिक ने कहीं भी नहीं कहा कि पाकिस्तान का हाथ नहीं था, मगर पुलवामा की घटना नहीं हुई। अगर गृह मंत्रालय स्वाभिमान मैंने 15 अप्रैल के वीडियो में हेलीकॉप्टर की फेल हो जाते हैं तो कुत्तों को भी बंद कर देना चाहिए। इसलिए आप बगल वाली हैडलाइन देखिए प्रधानमंत्री जी आप मलिक पर चुप क्यों हैं। यह वाली बात पूछ लीजिए। पुलवामा में गृह मंत्रालय ने 540 जवान शहीद सवाल मीडिया ने कितनी बार पूछ और अतीक अहमद की हत्या का वीडियो कितनी बार दिखाया कि पुलिस खड़ी है गोली चल रही।

लेकिन क्या उससे प्रसारण में यह सवाल सुन रहे हैं कि पुलिस क्या कर रही है? सूचना धर्म ना हो तो इस धर्म की रक्षा 1 दिन नहीं की जा सकती है। इससे लोगों नमस्कार।

17:46
तो आपका स्वागत है आज शनिवार की कहानी बहुत सारे लोगों ने बाहुबली! अतीक अहमद की कहानी आज की कहानी की कहानी पहला अतीक अहमद! इकलौता ऐसा सांसद? जिसके नाम के आगे भगोड़ा लगा और मतलब वह एमपी मेंबर ऑफ पार्लियामेंट होते हुए भी अतीक अहमद को पुलिस ढूंढ रही थी। और महीनों सुबह एक ऐसा वक्त भी आएगा कि सरकार मायावती की सरकार थी। डीएसपी अतीक अहमद की तरह भी कहते हैं जो कत्ल के मामले में भागता फिर रहा है। उसको पुलिस ढूंढ रही है। पहली कहानी करती है बहुत सारे बाहुबली नेता!

जेल में बंद है। उसके बाद उसकी सारी चीजें उसका सारा काम चल रहा है। जेल में रहते हुए दिल से वसूली करते हैं। देश के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब जेल के अंदर बैठा हुआ एक दबंग 1 बिजनेसमैन को किडनैप कर आता है। बाहर और किडनैप कर आने के बाद उसको उसी जेल में बोलू आता है। जिस दिल में वह बंधु जेल के अंदर बिजनेसमैन आता है। जेल के अंदर उसकी पिटाई की जाती है। उसका जाते हैं। उसे कहा जाता है कि वह अपनी कंपनी ने कुछ चीजें हैं। उन लोगों के नाम करें और उसमें पूरा देश था। जाहिर सी बात है। एक बिजनेसमैन किडनैप किया है। जेल के अंदर से वही लोग जा सकते हैं। जिस कारण किसी के जुर्म में गिरफ्तार पुलिस ने क्या रखा है, उसको देख भेजा एक आम आदमी जेल के अंदर नहीं जा सकता है। जेल के अंदर जाने के लिए आपको जरूर करना पड़ेगा, लेकिन उसको किसने पकड़ाया जाता है और देवरिया देवरिया जेल में अतीक अहमद, बंद और उज्जैन में बुलाया जाता है बाकायदा!

जिला जेल स्टाफ जो सुरक्षा गार्ड है, वहां पर जेल के जो गेट पर जाना है इन सब की मिली भगत के बाद छोड़ा जाता है कि सब कुछ कर दो वरना पूरी फैमिली को इससे पहले कि हम सोचे कि क्या होगा। यह मोहित जयसवाल नाम का उसके साथ यह काम हुआ था। सब कुछ हो गया। दिसंबर 2018 में हुआ था। बाद में फिर पुलिस में जब रिपोर्ट लिखाई पुलिस में हड़कंप मचा और उसके बाद।

करीब 200 पुलिसवाले देवरिया जेल गए। वहां उन्होंने देखा पता किया कि क्या है यहां पर और उसके बाद फिर धूप मिला। सबूत मिला था कि जेल के अंदर किसी को उठाकर ले आता है और इस तरीके से करना पड़ता है। उसके बाद जेल प्रशासन देर में तो फिर यह मामला उसके बाद से देवरिया दिन से अतीक अहमद को बरेली जेल भेजा जाता है। लेकिन तेरे मामला इधर सुप्रीम कोर्ट में जाता है। बाद में ठीक है मत के इस जेल के अंदर ही तत्व और दबंगई। सुप्रीम कोर्ट का फैसला देना पड़ता है कि अतीक अहमद को यूपी जेल से हटाओ और कहीं और ले जाओ और अभी इसी साल इसी महीने जून में अतीक अहमद को बाकायदा प्रयागराज नैनी जेल में बंद वहां से बनारस की जाएंगे। बनारस एयरपोर्ट पर ले जाने के बाद टीम में बैठाया गया और उसके इनको अहमदाबाद लैंड किया गया। बाद में फैजाबाद की साबरमती जेल में अतीक अहमद को बंद किया गया। सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर पर कि यूपी में कोई भी जेंट्स की मनमानी को नहीं रोक सकता है। ऐसा फैसला किस तरह से निकाला गया। गुजरात के तेल अहमदाबाद के साबरमती कहां पर थे। आप अंदाजा लगा सकते हैं। इलाहाबाद के पास एक जगह फूलपुर जहां पर अतीक अहमद की पैदाइश हुई। बचपन से पढ़ने में मन लगाने से पढ़ाई लिखाई छोड़ दी। फेल होने के बाद और फिर वह 17 साल की उम्र में अतीक अहमद पर पहला केस पहला खेती मर्डर।

व्यापारी हुई फिर भी बाहर आया लेकिन उसके बाद फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और उनके रास्ते पर चल पड़ा और यह सारे माफियाओं का पूरा एपिसोड। तो धीरे-धीरे फिर अतीक अहमद की दो शरीर एक क्राइम की दुनिया में चाहे सरकारी काम में जो टेंडर और यूपी में ट्रैफिक सिग्नल होते हैं वह किडनैपिंग! हमारी आंखों के।

हम भरे बाजार में किडनैपिंग!

लोगों को भड़काना मारपीट मटन मटन तो मटन का इस्तेमाल निकल तरीके से। ब्लैक मेलिंग बिजनेसमैन को उठाना सत्तो मर्डर केस में गवाही टूटे बहुत बार ऐसा भी कुछ हुआ। 5 बार फिर उसके बाद यह सारी चीजें करते हुए दो सभी की एक क्रिमिनल की एक दबंग गई थी और एक फिर धीरे-धीरे अतीक अहमद ने फूलपुर में अपनी छवि एक रॉबिनहुड की भी बनाने की कोशिश की। गरीबों की मदद करना शादी कराना इलाज के पैसे देना तो दो ताकि गरीबों के मसीहा के तौर पर यूपी के सारे लोगों की मदद करो और थोड़ी अपनी इमेज बदल हो और बाकी तरफ गुंडागर्दी करो और से बात करेगा और होता है कि चलो गुंडागर्दी मैं इन सब चीजों में बहुत नाम हो गया। अब थोड़ा पॉलिटिकल भी कुछ मदद होनी चाहिए सारा इतिहास।

मुख्तार अंसारी और भी बहुत सारे नाम है। बृजेश मिश्रा हो तो कम से कम थोड़ा और लाइसेंस! टिकट मिलती है नेताओं का हाथ होता तो आप ज्यादा काम करने लगते हैं। तो उसके बाद पहले इंडिपेंडेंट फिर समाजवादी पार्टी के टिकट पर फिर अपना दल अपनी ही पार्टी बना लेता हूं। उस पर पांच बार अतीक अहमद और इसी फूलपुर से इलाहाबाद के जो एक्सीडेंट बार विधायक बनने के बाद 2000 में अतीक अहमद के साथ एक और भी चीजें जब भी यूपी में सपा और बसपा की सरकार थी और गेस्ट हाउस कांड हुआ था जब मायावती को मारने की कोशिश की गई थी तो उसमें जो बहुत सारे लोग थे उनमें से एक नाम अतीक अहमद का बिल सपा के कहने पर मायावती को मारने की कोशिश। ना ठीक है मत इंडिपेंडेंट लड़ा सपा से भी लड़ा। बाकी चीजें फूलपुर से लोकसभा की टिकट देगी। पार्टी विधायक की चुनाव में एक दबंगई जिसके ऊपर इतने सारे मुकदमे हैं, लेकिन फैसला किसी का नहीं था। तो लोकसभा के टिकट मिली और वह लोकसभा का चुनाव लड़ा लोकसभा का चुनाव जीत गया। अतीक अहमद एक माननीय सांसद हो चुके थे। दिल्ली में आना-जाना शुरू हुआ। इसके बाद भी अतीक अहमद का फिर डाउनफॉल शुरू होता है। इस लोकसभा के चुनाव में जीत की बात उसकी बधाई होती कि जब लोकसभा की सीट जीत लेता है तो उस वक्त अतीक अहमद उससे पहले भी तब जब आप एमपी बन गए थे, मेले की आपको सीट छोड़नी है। अतीक अहमद को छोड़ दी थी। खाली कर दी। अब एक्शन होना था। उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने अतीक अहमद की जगह उसके भाई अशरफ को टिकट दे दिया। उधर बसपा में राजू पाल नाम के चुनाव बाद में उसका रिकॉर्ड तो जब अतीक अहमद का यह लगता था कि फूल पर हो रही है, उसकी पूरी बपौती है। यहां से कोई और कभी चुनौती दे सकता। कोई खड़ा नहीं हो सकता। लेकिन जब बाय पौल हुआ और उसमें अतीक अहमद भाई उसने वहां से राज्यपाल को टिकट दी और राजू बीएसपी के टिकट पर चुनाव और वहां से राजू पाल। चुकी। सिंध में घर में घुसकर अतीक अहमद को मार दी थी। इसके बाद एक दो हमला होता है। विधायक कहता है कि इनकी दुश्मनी चलती है तो इलाज के सिलसिले में हॉस्पिटल में एडमिट इलाहाबाद वहां पर इलाज के दौरान अस्पताल के कर्मचारी पूजा के साथ राजू पाल की नज़दीकियां हो जाती है। दोनों में प्यार हो जाता है।

एमएलए बनने के बाद राजू पाल पूजा से शादी कर लेता है और वह पूजा पार हो जाती है। लेकिन शादी के ठीक 9 दिन के बाद एक राजू पाल जो अभी अतीक अहमद के भाई को चुनाव में हराया विधायक बना विधायक बनने के बाद उसने कुछ महीने के बाद पूजा से वादा किया था। शादी कर ली पूजा थी। वह हॉस्पिटल में एक बहुत ही मामूली सफाई करने वाली उसके पिता पंचर बनाने वाले वह भी गरीब। एक दोनों का प्यार था, शादी हो गई। शादी के ठीक 9 दिन बाद 9 दिन बाद पूजा पाल विधवा हो जाती है। 25 जनवरी 2000 शुक्रिया भोपाल हॉस्पिटल के मुर्दाघर।

दोपहर को फोटो में कुछ अर्चना रही थी तो उसको भी जल्दी कर दे। डॉक्टर के पास ही बारिश करने के लिए तो वह घर से वह वापस गाड़ी में बैठ कर निकलता है और राजू पाल के साथ गाड़ी में हूं। यार अभी तो घर के बाहर सड़क पर एकदम वीरभद्र की गाड़ियों पर राइफल पिस्टल देसी कट्टा अंधाधुंध गोलियां चलाते हैं। हालत ये थी कि जब गोली चलती थी, बहुत सारे गाड़ी वाले जब वहां से देख रहे थे, उनकी आपस में टकरा गई और कई मिनट तक 25 लोग लगभग उन्होंने राजू पाल के ऊपर गोलिया चलाई। उसमें दो और राजू पाल के साथ लोग थे। वह मारे गए राजू पाल को गंभीर हालत में हॉस्पिटल ले जाया गया नहीं तो सारा राजू पाल की भोपाल की मौत के बाद सिर्फ 9 दिन हुए। 200mp दूसरा नाम उनके भाई अशरफ का, जिसको राजू पाल ने चुनाव में हराया था। इसके अलावा और भी कुछ करीबी थे। फरहान लोगों के टोटल नाम एफ आई आर के तौर पर दबंग नेता राजू पाल के समर्थक सड़कों पर उतर आए थे। मायावती जी के मेले का मामला उठा शोर हुआ हंगामा हुआ। इलाहाबाद में धरना प्रदर्शन हुआ। बड़ी खामोशी से राज्यों के साथ। सपा की सरकार थी और उसका नाम। तो बाद में प्रेशर पड़ा तो फिर समाजवादी पार्टी को भी पीछे हटना पड़ा। समाजवादी पार्टी ने अतीक अहमद को अपनी पार्टी से बाहर कर दिया कि गिरफ्तारी होगी। थोड़ी देर के बाद फिर आती क्या मतलब इसमें सरकार बदल जाती है मायावती मुख्यमंत्री!

मायावती राजू पाल की वाइफ पूजा-पाठ को टिकट दे देती है। उसी जगह पर जहां से विधायक पूजा पाल चुनाव से पहले निकल जाता है। ₹20000 के ऊपर देने वाले का रिमोट काम किया जाता है और तलाश जारी होती है। इस बीच में अतीक अहमद कोई भी था कि यूपी में सरकार पलट गई है। मायावती मुख्यमंत्री ने तो जानकारी 17 क्लास में दिल्ली में पीतमपुरा एक जगह है। वहां के लड़कों की गिरफ्तारी दिखाई गई। उसके बाद उसे ले जाया गया फिर मुकदमा चलता रहा। लेकिन 2005 और 2019 से 14 साल हो गए। राजू पाल के पत्नी के सिलसिले में अभी तक कोई फैसला किया है। 9 लोग नामजद और उनका भाई भी है। 2 साल पहले पहली बार इस मामले में यह हुआ कि अब इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया था। मतलब 17 में और पांच 12 साल के बाद यह फैसला होता कि अभी तक इस मामले की जांच सीबीआई कर दी। अभी जो लेटेस्ट चुनाव हुआ है की ताजा खबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी! ऑफिस मुताबिक भेजो ना उसमें हारा भी।

तो यह जमानत पर बाहर लेकिन फिर 2018 में ही शुरुआत में एक स्कूल के ऊपर अटैक करने स्कूल के बच्चे का कुछ मामला था। मरने वाला तो उसको लेकर जाकर मिठाई मिठाई कैंपस में टीचर को। अतः देवरिया जेल में बंद था, उससे पहले ही कुछ पैसे मांगे तो उसको दे दिए। फिर उसके बाद 2 साल के बाद फिर इतने पैसे मांगे। उसने नहीं इस बार मना कर दिया तो उसको धमकाया गया नहीं माना। लखनऊ के गोमती नगर इलाका है। वहां से दिसंबर दो हजार अट्ठारह मोहित जायसवाल जा रहा था। उसके बाद से पुलिस वाले जेल मौजूद है। अतीक अहमद का फरमान आता है जो जन को शक्ति दो। उसके बाद सारे उसके गुर्गे उस दिन पुलिस वाले ने मिलकर पीते घंटों उसको जेल में बंधक बनाकर रखते हैं। ग्रुप से साइन कर आते हैं। कुछ चेक पर साइन कर आते हैं। कुछ पेपर और उसके बाद इस धमकी के साथ उसे छोड़ते हैं कि हम तुम्हें जब जेल के अंदर तक बुलाकर उठाकर लाकर मार सकते हैं तो सोचो के बाहर भी क्या कर सकते हैं। पूरी फैमिली को भी धमकी दी मारने की रिकॉर्डिंग। किड जेल के अंदर की चीजें सरकार प्रशासन हरकत में आई मीडिया में खबर आने के बाद शर्मिंदगी भी जेल प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अतीक अहमद को इस वक्त जो इलाहाबाद अहमदाबाद अतीक अहमद के ऊपर 40 से ज्यादा कैसे हैं और एक चीज है जिसकी वजह से चुनाव लड़ा था और बहुत सारी फैसला।

फूलपुर और उसके आसपास अतीक अहमद का अपना एक दबदबा है जैसे यूपी में अलग अलग से मुक्त बृजेश मिश्रा का तिवारी की जिला सिवान के साबुद्दीन तो सबका अपना-अपना इलाहाबाद फूलपुर हालांकि, इसके बारे में कि न सिर्फ इलाहाबाद फूलपुर बिहार तक में अतीक अहमद के खिलाफ हो सके और बहुत सारे तभी फिलहाल लेटेस्ट यह है कि जून के महीने में अतीक अहमद यूपी से बाहर पहली बार किसी और जेल में बंद है और वह है गुजरात के लिए अहमदाबाद के लिए साबरमती रिवर।

इस मामले की किडनैपिंग की जेल जाने की चल रही है।

लेकिन वाकई की दबंगई है और इस तरह की चीजें और इतिहास में दो चीजें केकेपी जिसको भगोड़ा डिक्लेअर किया गया। वह मिल नहीं रहा। बाद में सर के ऊपर ही नाम दिया गया और एक दबंगई ऐसा कि जेल में बैठकर एक बिजनेसमैन को देर में बुला लेता है तो एक ही पूरी कहानी अतीक अहमद की अतीक अहमद के कौर बी के अपने। दो सेहत मदन उसकी वजह से भी अधिक अहमद की तलाश पहचान है। आप लोग तस्वीर में देखा ही होगा। आपने मुझे तीन चार बार मिला।

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सारे अच्छे थे, मीडिया से बात करते हैं लेकिन कानून में जाएंगे तो जेल के अंदर खेल हो, धमकाना हो, धमकी दे रहा हूं जबरदस्ती टंडन लेना हो सारे। और सारी धाराएं अतीक अहमद के केस की लंबी लिस्ट है। जेल में आने वाले वक्त में देखिए किस पर सबकी नजर है उसमें क्या फैसला होता है वह राजू पाल विधायक का मामला।

जिसके बाद उनकी पत्नी हमें भी है कि राजू पाल की तो मौत हो गई लेकिन पाल की पत्नी की पूजा पाल ने हमेशा यह कहा कि जब-जब अतीक अहमद जहां जहां से चुनाव लड़ेगा चुनाव और इलाहाबाद में रहमत की जिंदगी को पलट कर दी कहानी कहानी।

Ateek के बेटे हत्या की एनकाउंटर की घटना हुए 12 घंटे हुए थे और उसको दफनाते हुए , इतने में ही ateek को उसके भाई अशरफ का मर्डर कर दिया गया और दोस्तों यह घटना एक bahut बड़ी है, चाहे कोई भी दोषी कितना ही दोषी क्यों ना हो फिर पुलिस की कस्टडी में दोनों भाइयों की तीन शूटरों ने हत्या कर दी लिए दर्जनों मीडिया वाले तथा 8,10 पुलिसकर्मियों के होते हुए भी अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या कर दी जाती है,

बड़ा सवाल है क्या हत्या का बदला क्या होगा?

आइए दोस्तों पूरी जानकारी हम आपको प्रोवाइड कर आते हैं यह मामला उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहा है अतीक अहमद तथा उसके भाई अशरफ को अलग-अलग जिलों से प्रयागराज बुलाया गया है राजू पाल हत्याकांड में पूछताछ के लिए पुलिस ने कोर्ट के आदेश के अनुसार 14 दिन की रिमांड पर लिया था बताया जा रहा है कि पुलिस दिल्ली दोनों भाइयों का मेडिकल कराना जाने जाया करती थी,

प्रयागराज के मेडिकल चौराहे के पास मेडिकल हॉस्पिटल की सरकारी हॉस्पिटल है हॉस्पिटल के पास ही मीडिया वाले इकट्ठा हुए थे जैसे ही हसरत तथा अति को लेकर पुलिस की गाड़ी आती है मीडिया वाले सवाल पूछते हैं असद के और गुलाम के जनाजे में शामिल होने को अतीक तथा सर जवाब दे भी नहीं पाते हैं इतनी तड़प और गोलियां चलती है जय श्रीराम के नारे लगाते हुए तीनों सूटर हाथों पर खड़े कर देते हैं इससे जाहिर होता है कि तीनों रूपों की जानी-मानी साजिश थी जिससे अतीक तथा उसके भाई आश्रम को मौत के हवाले कर दिया

एक सवाल पूछा है क्या उत्तर प्रदेश पुलिस तीनों शोटोरो का एनकाउंटर करेगी क्योंकि उत्तर प्रदेश में मौत के बदले मौत होती है,

प्रयागराज में पुलिस प्रशासन पर सवाल

सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार 3 शूटर पहले से ही घात लगाए बैठे थे जैसे ही पुलिस की गाड़ी ateek और उसके भाई अशरफ को लेकर पुलिस की गाड़ी निकल रही थी तो कोई भी अंदेशा नहीं था shooter हैं या कौन है, 30 से 35 सेकेंड चली है गोलियां 

घटनास्थल पर कैमरा तथा mic 🎙️ मिला है, बताया जा रहा है तीनों तीनों गोली मारने वाले मीडिया के कर्मचारी बन कर आए थे यह अस्पताल में शायद पहले से ही हाथ लगाए हुए एक मरीज की तरह प्रवेश में हैं उनके पास एक बैग की है, 

अतीक और उसके भाई अशरफ का मर्डर करने के बाद इन्होंने हाथ खड़े कर दिए और अपने को गिरफ्तार करने के लिए बोल रहे थे एक शूटर उनमें से जमीन पर लेट गया

राजू पाल की हत्या तथा दो पुलिसवालों की हत्या हुए 50 से 80 दिन हुए हैं और दूसरी घटना हो गई इस घटना से क्या कहा जा सकता है या पुलिस की लापरवाही है या कानून व्यवस्था खराब है या समुदाय पर अटैक है

बताया जा रहा है मर्डर करने वाले तीनों के पास एक डमी कैमरा था जिसमें ना तो कोई बैटरी थी और उसमें दिल्ली-एनसीआर लिखा था, माइक bhee dami इससे अनुमान लगाया जा सकता है तीनों शूटर की पहले से ateek को मारने की प्लानिंग थी,

घटना के बाद सीएम योगी सख्त

अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या के बाद जहां यूपी सरकार सख्त हुई है और प्रदेश भर के सभी जिलों में धारा 144 लगा दी गई है और 17 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है और प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के आवास पर भी सुरक्षा घेरा बढ़ा दिया गया है वही बीजेपी के कुछ सांसद कह रहे हैं कर्मों की कर्मों के फल है लेकिन योगी आदित्यनाथ किस घटना से काफी नाराज हैं और पुलिस प्रशासन पर काफी आक्रोशित हैं और पूरी जानकारी के लिए उन्होंने आपातकालीन मीटिंग की और उसने 17 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया है और बहुत सारे सीनियर अधिकारियों को प्रयागराज भेजने के लिए कहा है और पूरी जानकारी अच्छे से nigrani करने के लिए निर्देश दिए हैं

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