सुप्रीम कोर्ट का फैसला अब चुनाव आयुक्त का गठन होगा निष्पक्ष
chunav ayukt supreme court news-दोस्तों भारत एक संविधान से चलने वाला देश है जहां पर सभी कार्य संविधान के अनुसार तथा नियम व्यवस्था के अनुसार किए जाते हैं लेकिन फिर भी चुनाव आयोग के गठन पर सवाल उठाए जा रहे हैं इस समय बीजेपी सरकार हो या कांग्रेस सरकार हो या विपक्ष में कोई भी सरकार हो विपक्षी सरकार ने चुनाव आयुक्त पर हमेशा सवाल उठाते रहे हैं इसी को मद्देनजर रखते हुए भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक बहुत ही फैसला दिया है फैसले में बताया है कि चुनाव आयुक्त की गठन मौजूदा सरकार प्रधानमंत्री तथा विपक्ष पार्टी वाला सदस्य तथा सुप्रीम कोर्ट के सदस्य मिलकर चुनाव आयोग का गठन करेंगे जिससे निष्पक्ष रुप से चुनाव कार्यक्रम को कराया जा सके, चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का कार्यक्रम राष्ट्रपति द्वारा ही किया जाएगा,
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
जज जस्टिस केएम जोसेफ जस्टिस अजय रस्तोगी तथा न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय और न्यायमूर्ति सिटी रवि कुमार की बेंच ने याचिका में चुनाव आयोग में सीबीआई की तर्ज पर नियुक्ति की मांग को लेकर एकमत से फैसला सुनाया पीठ ने पिछले साल 24 नवंबर को इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था उसी फैसले को आज कोर्ट ने पब्लिक किया है
पहले चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कैसे होती थी
पहले चुनाव आयुक्त की नियुक्ति जो सरकार सत्ता में होती थी वह 10,30 नाम कलेक्ट करती थी और उन नामों को चुनाव करने के बाद उनमें से 3 नाम लास्ट में प्रधानमंत्री द्वारा चुने जाते थे चुने गए नामों में से किसी एक नाम पर प्रधानमंत्री मोहर लगा देते और उस नाम के साथ एक नोटिस राष्ट्रपति को भेजते थे राष्ट्रपति अंतिम मुहर लगाने के बाद चुनाव आयुक्त की नियुक्ति हो जाती थी
अब चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कैसे होगी
सुप्रीम कोर्ट के फैसले आने के बाद यदि संविधान में संशोधन किया जाता है उसके बाद चुनाव आयुक्त की नियुक्ति सत्ता पक्ष का सदस्य , vipakshi party ka sadasyaतथा सुप्रीम कोर्ट का एक सदस्य मिलकर 3 सदस्य की कमेटी का गठन होगा वह कमेटी ऐसे व्यक्ति का चयन करेगी जो चुनाव आयुक्त के लिए banne ki haisiyat rakhta Ho सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह तक कहा है वह ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो कि प्रधानमंत्री गिरफ्तार कर सके तथा उस पर कार्रवाई कर सकें यदि चुनाव में कोई भी चुनाव के संगत कारण नहीं किया जाता है ऐसा इसलिए कहा है कोर्ट ने क्योंकि लगातार कोर्ट को ऐसे शिकायतें मिली हैं जिसमें चुनाव आयुक्त पर आरोप लगाए गए हैं की निष्पक्ष रूप से चुनाव नहीं कर कराया गया
आखिर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा फैसला क्यों दिया
इससे पहले शीर्ष अदालत ने पूर्व नौकरशाह अरुण गोयल को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त करने के चरण में जल्दबाजी दिखाई थी तथा उनकी फाइल को 24 घंटे में ही पास कर दिया गया केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत की टिप्पणियों को जोरदार विरोध किया था अटॉर्नी जनरल और आरके वेंकटरमणि ने तर्क दिया था कि उनकी नियुक्ति से संबंधित पूरे मामले में संपूर्णता से दिखाई गई जरूरत है शीर्ष अदालत ने पूछा था कि केंद्रीय कानून मंत्री ने चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री को सिफारिश की गई 4 नामों के एक पैनल के कैसे चुनाव जबकि उनके किसी ने भी कार्यालय में निर्धारित 6 साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है
चुनाव आयुक्त की नई नियुक्ति प्रक्रिया से क्या फायदे होंगे
यदि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति और नई प्रक्रिया के द्वारा होगी तो भारत में निष्पक्ष प्रकार से चुनाव हो सकेगा तथा किसी एक पार्टी को चुनाव आयुक्त समर्थन नहीं कर सकेगा तथा जैसे कि आजतक विपक्षी पार्टियां मौजूदा सरकार पर आरोप लगा दी गई हैं उस तरह के आरोप-प्रत्यारोप लगने बंद हो जाएंगे और चुनाव में होने वाली रैलियां मैं जैसे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया जाता है उस प्रकार का उल्लंघन नहीं होगा तय समय में ही चुनाव रैलियां की जाएंगी क्योंकि पिछली बार विपक्षी पार्टियों ने प्रधानमंत्री मोदी जी तथा अमित शाह पर आचार संहिता का आरोप लगाया था उन्होंने आरोप लगाया था कि तय समय के बाद उन्होंने रेलिया की जो कि संविधान की उल्लंघन करता है तथा विपक्षी पार्टियों ने अब आयोग से शिकायत की थी लेकिन चुनाव आयुक्त ने क्लीन चिट दे दी थी भारत बनेगा EV का बादशाह|जम्मू कश्मीर में मिले lithium के उनके भंडार|lithium Jammu Kashmir news